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गोरखपुर मे एम्‍स को लेकर शियासत

India 21st Century
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आज पूर्वी उत्‍तर प्रदेश के गोरखपुर जिले के आस पास 1978 से ही नन्‍हे मुन्‍हे बच्‍चों के मरने का सिलसिला जारी है। इंसेफेलाईटिस यानि दिमागी बुखार के नाम से मशहुर बिमारी प्रत्‍येक साल बच्‍चों को अपना शिकार बनाती है। स्‍थानीय अखबार हर रोज बच्‍चों के मौत की खबर से पटे रहतें है, य‍ह बिमारी 2005 से पहले विषाणू जनित थी लेकिन 2005 मे जब यह महामारी के रूप मे फैली तो सवाल उठने लगा कि आखिर इसका रोकथाम कैसे किया जाय, इसके लिए गोरखपुर विश्‍वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो0 राधे मोहन मिश्र ने एक संस्‍था ”सर्मपण” बनायी और इससे प्रभावित लोगो के लिए हेल्‍पलाईन प्रारम्‍भ की लेकिन बिमारी का प्रकोप इतना अधिक था इस मामुली से प्रयास से अधिक कुछ हासिल नही हो सका लिहाजा प्रो मिश्र ने गॉवों मे जाकर लोगो को इस बिमारी से रोकथाम के लिए जागरूकता फैलाने का कार्य प्रारम्‍भ किया। बिमारी के भयावह स्थिति को देखते हुए इलाहाबाद के उच्‍च न्‍यायालय ने स्‍वत: संज्ञान लेते हुए इसकी सुनवाई शुरू कर दी, इस बीच प्रो मिश्र ने उच्‍च न्‍यायालय मे इन्‍टरविनर बनने के लिए प्रार्थना पत्र दिया जिसे उच्‍च न्‍यायालय ने स्‍वीकार कर लिया और इनके द्धारा दिये गये सभी सुझावों को उच्‍च न्‍यायालय ने अपने आदेश मे दे दिया।

उच्‍च्‍ा न्‍यायालय ने साथ ही साथ राष्‍टीय विषाणु विज्ञान केन्‍द्र पूणे की एक शाखा गोरखपुर मे स्‍थापित करने का आदेश दिया, लेकिन तत्‍कालिन उत्‍तर प्रदेश सरकार ने उसे लखनउ मे स्‍थापित करने का निर्णय लिया जिसके विरूद्ध प्रो0 मिश्र पुन: उच्‍च न्‍यायालय की शरण मे गये और उच्‍च न्‍यायालय ने कटी फटकार लगाते हुए इसे गोरखपुर मे स्‍थापित करने का निर्णय दिया और अंतत: प्रो मिश्र के अथक प्रयास से NIV ( National Insitute of Virilogy ) का सेंटर गोरखपुर मे कार्य करने लगा।

वहीं इस बिमारी के बढ़ने के साथ साथ पूर्वाचल मे एम्‍स की मॉग जोर पकड़ने लगी, जहॉ केन्‍द्र सरकार ने छ: एम्‍स देने की घोषणा की उसमे 20 करोड़ आबादी वाले उ0 प्र0 को केवल 1 एम्‍स दिया गया और वह भी सोनिया गॉधी के क्षेत्र रायबरेली मे जहॉ इसकी कोई सार्थकर्ता नही है। रायबरेली से मात्र 70-80 किमी की दुरी पर ही लखनउ मे किंग जार्ज मेडिकल विश्‍वविद्यालय, राम मनोहर लोहिया असपताल, संजय गॉधी आयुर्विज्ञान संस्‍थान, सहारा हास्‍पीटल आदि मौजूद है। लेकिन पूर्वाचल मे 6 करोड़ की आबादी पर केवल मात्र बाबा राघव दास मेडिकल कालेज है जिसमे गोरखपुर, देवरिया, कुशीनगर, महराजगंज, बस्‍ती, गोण्‍डा, सिद्धार्थनगर, नेपाल, बिहार के कई जिलों के लोग आते है लेकिन इसके बावजूद केन्‍द्र व राज्‍स की सरकारे जैसे लगता है कि सो रही है उन्‍हे कुछ पता ही नही है। उच्‍च न्‍यायालय ने भी राज्‍य सरकार से केन्‍द्र को नोटिस भेजा, नेशनल मिडिया से लेकर प्रिंट मिडिया को खुब फटकार लगाई लेकिन किसी के उपर उच्‍च नयायालय के आदेश का कोई असर नही हुआ और मामला जस का तस बना रहा।

अब मामला राजनैतिक हो चला है प्रो मिश्र ने भी आजिज आकर जनसंमस्‍याओं से लड़ने के लिए हाल मे ही बनी आम आदमी पार्टी ज्‍वाईन कर ली और कार्यकर्ताओं के साथ इसके लिए जंग की शुयआत कर दी। इसी बीच उन्‍होने जापानी बुखार के लिए गॉवों जाकर लोगो को साफ सफाई, शिक्षा, स्‍वास्‍थ्‍य आदि के बारे मे जानकारी देने लगें, इसके लिए उन्‍होने http://encephalitis.in नाम से एक बेबसाईट बनवाई जिससे लोगो को इस बिमारी के बारे मे जानकारी, लक्षण, व इसके बचाव तथा इसके परीणाम के बारे मे जानकारी दी गयी है। उन्‍होने गोरखपुर या पूर्वाचल मे एम्‍स की स्‍थापना को लेकर राहुल गॉधी, सोनिया, अखिलेश यादव, तक पत्र लिखकर मॉग कर चुके है, कही भी सुनवाई न होने पर 2012 मे उन्‍होने उच्‍च न्‍यायालय इलाहाबाद मे एक जनहित याचिका दायर की जिसकी सुनवाई राजनीतिक कारणों से लगता है अभी तक लम्बित ही है।

ऐसे मे गोरखपुर के सांसद योगी आदित्‍यनाथ एम्‍स का श्रेय खुद लेना चाहते थे कि उन्‍होने ही इसके लिए मॉग की शुरूआत है जबकि वे गोरखपुर के लगातार चार बार से सांसद रहे है लेकिन केवल एक बार संसद मे जापानी बुखार पर प्रश्‍न पुछा जिसका साक्ष्‍य हमारे पास मौजूद है। कभी भी उन्‍होने अपने सांसद निधी से एक रूपया भी मेडिकल कालेज के वि‍कास व इस माहामारी के लिए दिया। ऐसे लोग केवह घडि़याली ऑसू ही बहा रहे है।

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